6/1/12

विकास में बिहार फिर अव्वल, गुजरात टॉप-5 में नहीं

नई दिल्ली।। पिछले कई दशकों से गरीबी और पिछड़ेपन का प्रतीक बिहार लगातार दूसरे साल सबसे तेज विकास दर हासिल करने वाला राज्य बन गया है। बिहार की इकॉनमी फाइनैंशल ईयर 2011-12 के दौरान 13.1 % की दर से बढ़ी है। चार साल पहले पहली बार बिहार की विकास दर डबल डिजिट में पहुंची थी और अब सूबे की इकॉनमी उस पंजाब से बड़ी हो गई है, जो कभी पलायन करने वाले बिहारियों के लिए पसंदीदा ठौर बना हुआ था। सांख्यिकीय मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, सबसे तेज विकास दर हासिल करने वाले टॉप- 5 राज्यों में बिहार के बाद क्रमश: दिल्ली, पुडुचेरी, छत्तीसगढ़ और गोवा हैं। घरेलू और विदेशी निवेशकों का पसंदीदा राज्य गुजरात 9.1% की विकास दर के साथ टॉप फाइव में जगह नहीं बना पाया। हालांकि, अपेक्षाकृत ज्यादा औद्योगीकृत राज्यों में केवल तमिलनाडु (9.4%) ही गुजरात से आगे रहा है। पंजाब, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश की विकास दर देश के जीडीपी ग्रोथ रेट 6.5% से भी कम रही। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि गुजरात और तमिलनाडु जैसे बड़े राज्यों का विकास ज्यादा व्यापक है और इनमें से कोई भी कभी भी नंबर वन बन सकता है। बिहार और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की विकास दर का आधार उतना व्यापक नहीं है। इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि 2004-05 के मूल्य आधार पर तमिलनाडु में 4.28 करोड़ की आर्थिक गतिविधियां हुईं, जबकि बिहार का सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 1.63 करोड़ का ही रहा है। महाराष्ट्र के बाद अब तमिलनाडु की इकनॉमी भी यूपी से बड़ी हो गई है। आकलन के मुताबिक, 2011-12 में यूपी की अर्थव्यवस्था 4.19 लाख करोड़ की रही। हालांकि, महाराष्ट्र के आंकड़े उपलब्ध नहीं है लेकिन अनुमान है कि वह अभी भी देश की सबसे बड़ी इकनॉमी वाला राज्य है। 2010-11 में यहां की अर्थव्यवस्था 7 लाख करोड़ की थी। हाल के सालों में निवेशकों ने महाराष्ट्र से मुंह फेरते हुए गुजरात और तमिलनाडु को अहमियत दी है, जसकी वजह से राज्य की विकास दर घटी है। बिहार की तेज विकास दर की वजह वहां कानून व्यवस्था की स्थिति सुधरने के चलते सड़क निर्माण और दूसरे कंस्ट्रक्शन कामों में तेजी है। इसके अलावा कई अनाजों की ज्यादा पैदावार से ग्रामीण इलाकों में भी मांग बढ़ी है। नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनैंस के प्रफेसर एन. आर. भानुमूर्ति का कहना है कि बिहार को दो चीजों की वजह से मदद मिल रही है। बिहार की ग्रोथ का आकलन लो बेस पर हो रहा है और गवर्नंस के मसले में सुधार की वजह से निवेशक आकर्षित हो रहे हैं।

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